रविवार, 3 नवंबर 2019

नहीं शस्त्र भू पर डालो



जिस सपने को देख देख कर
मीत आज तक बड़े हुए हो
जिसकी छाया में सोए हो
जिसे कारण खड़े हुए हो
शक्ति जीवनी का उद्भव है
सपना जीवन का वह बल है
जिस पर आशाबेल पौंडती
सपना वह जीवन संबल है
अगर परिस्थिति की आंधी में
वह जीवन संबल गिर जाए
जीवन के प्यारे सपने को
अगर नियति की आग जलाये
संघर्षों के आतप में जब
लगे सूखने आशा लतिका
उम्मीदों की किरण छिपाये
बादल एक कठिन अवनति का
भाग्य शत्रु बन काट रहा हो
पौरुष प्रवल प्रहारों को
काटे धनुष तोड़ दे रथ को
करे विक्षत परित्राणों को
भिड़ जाना रथ-चक्र उठाकर
रण में अभिमन्यु बन कर
जिनके सपने ऊँचे होते
वे तो जीते हैं मरकर
स्वर्ण भष्म की कीमत होती
सदा स्वर्ण से भी ज्यादा
झुकना नहीं शीश कट जाये
वीरों की है मर्यादा
लिख दे नियति कपाल आज चढ
अपने स्वर्ण रक्त मसि से
अपने शौर्य विजय की गाथा
अपने पौरुष की असि से
हे अर्जुन गांडीव उठालो
जयद्रथ का वध कर डालो
भीरु सिपाही से हे भारत
नहीं शस्त्र भू पर डालो
जिनके हांथों में पौरुष है
आँखों में उत्कट आभा
अगर इरादे फौलादी हों
रोके उन्हें कौन बाधा?

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