रविवार, 3 नवंबर 2019

शुभ प्रभात


शुभ प्रभात

तालियां बजाकर पीपल ने चिड़ियों को जैसे जगा दिया
अधरों पर शोभित तुहिन बिंदु कलियों ने ज्यों हो सोम पिया
माधवी लता ने सुबह सुबह जैसे हो ली अंगड़ाई सी
रजनीगंधा है थकी हुई बैठी है यूँ अलसायी सी
गुंजारित हैं अलिमालायें कलियों को ज्यों फुसलाती सी
तितलियाँ रंगीली विचर रहीं पुष्पों को भेद बताती सी
अदृश्य करों से सहलाता शीतल कोमल मलयज समीर
प्राची ने भी है बिखराया सारे जग पर अरुणिम अंवीर

प्रिय चलो टहलने चलें प्रात की सुखद समीर पुकारे
गा रहे प्रभाती चटकबृंद भर तान हमारे द्वारे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

जिज्ञासु समर्पण, कवि परिचय, प्रस्तावना एवं वंदना

जिज्ञासु    डॉ . बृजमोहन मिश्र   समर्पण   पूज्या माता स्वर्गीया मंगला देवी एवं पूज्य पिता श्री रामू लाल मिश्र को ...