शुभ प्रभात
तालियां बजाकर पीपल ने चिड़ियों को जैसे जगा दिया
अधरों पर शोभित तुहिन बिंदु कलियों ने ज्यों हो सोम पिया
माधवी लता ने सुबह सुबह जैसे हो ली अंगड़ाई सी
रजनीगंधा है थकी हुई बैठी है यूँ अलसायी सी
गुंजारित हैं अलिमालायें कलियों को ज्यों फुसलाती सी
तितलियाँ रंगीली विचर रहीं पुष्पों को भेद बताती सी
अदृश्य करों से सहलाता शीतल कोमल मलयज समीर
प्राची ने भी है बिखराया सारे जग पर अरुणिम अंवीर
प्रिय चलो टहलने चलें प्रात की सुखद समीर पुकारे
गा रहे प्रभाती चटकबृंद भर तान हमारे द्वारे
तालियां बजाकर पीपल ने चिड़ियों को जैसे जगा दिया
अधरों पर शोभित तुहिन बिंदु कलियों ने ज्यों हो सोम पिया
माधवी लता ने सुबह सुबह जैसे हो ली अंगड़ाई सी
रजनीगंधा है थकी हुई बैठी है यूँ अलसायी सी
गुंजारित हैं अलिमालायें कलियों को ज्यों फुसलाती सी
तितलियाँ रंगीली विचर रहीं पुष्पों को भेद बताती सी
अदृश्य करों से सहलाता शीतल कोमल मलयज समीर
प्राची ने भी है बिखराया सारे जग पर अरुणिम अंवीर
प्रिय चलो टहलने चलें प्रात की सुखद समीर पुकारे
गा रहे प्रभाती चटकबृंद भर तान हमारे द्वारे
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