मान रवि का नहीं उसके ताप का है
राज्य नृप का नहीं वरन प्रताप का है
नाम पूजा यश बड़ाई मान गौरव
काम का है नाकि यह सब आप का है
गरुड़ का यश नहीं उस परवाज का है
भय शिकारी का नाकि उस बाज का है
बड़ी उतनी कुक्कुटी भी हुआ करतीं है
प्रश्न उसके जीने के अंदाज़ का है
सिंह राजा तभी तक है जब तलक वह बना दुर्जय
भीरु गर वह बन गया तो पतन उसका अटल निश्चय
अग्नि तब तक देवता है जब तलक है ताप बाँकी
नहीं तो वह राख है बस रह गया है भष्म परिचय
राज्य नृप का नहीं वरन प्रताप का है
नाम पूजा यश बड़ाई मान गौरव
काम का है नाकि यह सब आप का है
गरुड़ का यश नहीं उस परवाज का है
भय शिकारी का नाकि उस बाज का है
बड़ी उतनी कुक्कुटी भी हुआ करतीं है
प्रश्न उसके जीने के अंदाज़ का है
सिंह राजा तभी तक है जब तलक वह बना दुर्जय
भीरु गर वह बन गया तो पतन उसका अटल निश्चय
अग्नि तब तक देवता है जब तलक है ताप बाँकी
नहीं तो वह राख है बस रह गया है भष्म परिचय
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