कौशिक बोले "हे अवधपति
रघुनन्दन लेने आया हूँ
करने को दनुजो का मर्दन
अरिमर्दन लेने आया हूँ"
"दंडकवन का हर कुञ्ज सदा
रहता दनुजों से आतंकित
उस तपोभूमि को कर डाला
संतों के शोणित से अंकित"
"फैला है शोणित आज पड़ा
पूजालय से शिक्षालय तक
उनके होते आक्रमण सदा
निर्दोषो पर शोकालय तक"
"देदो मुझको तुम आर्य राम
दनुजों को मार भागने को
आतंकी के काले वन में
बाणो से आग लगाने को"
हो पुत्रमोह में व्याकुल तब
बोले दसरथ होकर अधीर
"कैसे लड़ पायेगा मुनिवर
मेरा बेटा कोमल शरीर"
बोले कौशिक "हे अवधपति
वह क्षत्रिय कुल का बालक है
दनुजों के विषम सर्प कुल के
मर्दन को वह अहिघालक है"
"छोटी से छोटी चिंगारी
भीषण वन जला डालती है
छोटी सी चोंच गरुण सुत की
विषधर को चबा डालती है"
"अति बाल सूर्य की किरण एक
क्या नहीं भगाती अँधियारा?
कब रुके शृगालों के समूह
जब सिंह पुत्र ने ललकारा?
"जब दनुजों के खूनी पंजे
नोचें भू का कोमल शरीर
तब कैसे सो सकते घरमे
माँ के रक्षक बालक सुवीर?"
"हर बालक को आना होगा
हांथों में लेकर असि कराल
दानव को मार मिटाने को
बनना होगा अब महाकाल"
"मत भूलो नृप मै शिक्षक हूँ
मम अंक खेलते सृजन प्रलय
ज्ञानी ध्यानी योद्धा राजा
बनते हैं मेरे विद्यालय"
"लोहे के काले टुकड़े को
छूकरके जैसे लौहकार
करदेता उसको क्षण भर में
अति चमकीली पैनी कटार"
"बनकर के राम शिष्य मेरा
चमके बन आतप का दिनेश
दुष्टों के वन को दावानल
सुजनों के हृदयों का हृदेश"
कौशिक शब्दों की पावक से
संदेह जले नृप के मन के
चल दिए राम ले लखन साथ
गुरु के पीछे पथ पर वन के
तुझे जाना दूर तू बढ़ता चला चल
जगत के जंजाल सारे
व्यूह सा रचकर खड़े हों
परिस्थितियों के समंदर
पंथ में फैले पड़े हों
मार्ग रोके सहस गिरिवर
बिछे हों शत सहस कानन
प्रलय के बादल घिरे या
सिंह घेरे फाड़ आनन
धैर्य की तलवार लेकर
पथिक तू बढ़ता चलाचल
मौन की दृढ ढाल लेकर
पथिक तू बढ़ता चलाचल
पहुंचना है तुझे सूरज
जहाँ से होता उदय है
लक्ष्य तेरा शुभ्र प्राची
जहाँ तम का पूर्ण लय है
तोड़ तम की घोर कारा
पथिक तू बढ़ता चला चल
बुद्धि मणि की रौशनी में
पथिक तू बढ़ता चला चल
नहीं रुकना मार्ग में जब
तुझे वनपरियां बुलाये
फस न जाना राग में जब
प्रेम का मृदु गीत गायें
देख मत उत्तर या दक्षिण
मार्ग पर सीधा चला चल
उदयगिरि के पार जाना
पथिक तू बढ़ता चला चल
स्वर्ण सिक्के खनखनाती
मिले मग में लोभ कुटिला
साथ में परिचारिकायें
अहम्, निर्दयता सुजटिला
लोकभोगों में उलझकर
महल उसके रुक न जाना
तुझे जाना दूर तू बढ़ता चला चल
दिन गया है सांझ आयी तू चला चल
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