रविवार, 3 नवंबर 2019

एक राजा एक रानी



आओ चंदू तुम्हे सुनाऊँ बिलकुल नई कहानी
एक देश में रहते थे भाई एक राजा एक रानी
प्रजा दुखी भूखा किसान खाने को नहीं चबेना
राजमहल के लोग छका करते थे डटकर छेना
राजा रोज किया करता था दूध शहद से कुल्ला
मोटी रानी बैठे बैठे खाती थी रसगुल्ला
पुरुष सभी थे दास नारियां सारी उसकी दासी
अखबारों में छपी जाती थी उसके नजला खांसी
लोग डरे रहते थे चूं करने की हिम्मत किसमे
कोई भी था नहीं ज़रा सा भी साहस हो जिसमे
लोहार अपने हांथो से था वह तलवार बनाता
जिससे अगले ही दिन उसका मस्तक काटा जाता
बढ़ई दिन भर मेहनत से छीला करता जो मेखें
उसके ही वे ठोकी जातीं बड़ा हथौड़ा लेके
यद्यपि कृषक उगाता फसलें बहुत अन्न उपजाता
लेकिन उसका अपना बच्चा भूंखा ही रह जाता
शिक्षालय में शिक्षक विलकुल वैसा पाठ पढ़ाता
जैसा जैसा उल्टा सीधा उससे बोला जाता
भूँखे और अशिक्षित जन सब आपस में भिड़ जाते
सजा मुचलका जुर्माने से राजाजी निपटाते
सभी लोग यशगाथा गाते राजा बलशाली की
कविजन खूब बड़ाई करते रानी छबि वाली की
चारो ओर गूंजते रहते राजा के जयकारे
भूँखी लंघी भीड़ लगाती जोर जोर से नारे







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