शुक्रवार, 27 मार्च 2009

कौन?

कौन जो मेरे ह्रदय में इस तरह,
बिना दस्तक दिए सीधा आ गया है?
ह्रदय पट पर लगा था जो धैर्य का ताला
तोड़ कर सीधा ह्रदय में छा गया है।

जाग कर भी सका कुछ न बोल, क्यों?
आज सम्मोहन में ऐसा आ गया हूँ ।
चैन लूटी, नीद लूटी, लूट ली दुनियां
सब लुटाकर भी मै हँसता आ गया हूँ ।


उस लुटेरे के करों में न था कोई शस्त्र,
डर न था उसको किसी क़ानून का।
नयन असि ने भेद डाले हैं सभी परित्राण ,
कर जरा स्मित अधर वह छीन लेता प्राण ।


किस कचहरी आज मै जाकर करूँ फ़रियाद?
और मैं किसको दिखाऊँ भावना के घाव?
खुश रहो जीते रहो तुम धन्य सुंदर चोर,
लोग समझेंगे धनी था इसलिए लूटा।


4 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी सांसों में यही दहशत समाई रहती है
    मज़हब से कौमें बँटी तो वतन का क्या होगा।
    यूँ ही खिंचती रही दीवार ग़र दरम्यान दिल के
    तो सोचो हश्र क्या कल घर के आँगन का होगा।
    जिस जगह की बुनियाद बशर की लाश पर ठहरे
    वो कुछ भी हो लेकिन ख़ुदा का घर नहीं होगा।
    मज़हब के नाम पर कौ़में बनाने वालों सुन लो तुम
    काम कोई दूसरा इससे ज़हाँ में बदतर नहीं होगा।
    मज़हब के नाम पर दंगे, सियासत के हुक्म पे फितन
    यूँ ही चलते रहे तो सोचो, ज़रा अमन का क्या होगा।
    अहले-वतन शोलों के हाथों दामन न अपना दो
    दामन रेशमी है "दीपक" फिर दामन का क्या होगा।
    @कवि दीपक शर्मा
    http://www.kavideepaksharma.co.in
    इस सन्देश को भारत के जन मानस तक पहुँचाने मे सहयोग दे.ताकि इस स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सके और आवाम चुनाव मे सोच कर मतदान करे.
    काव्यधारा टीम

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  2. बहुत अच्छा मित्र . सतत लिखते रहो. शुभ कामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  3. ब्लोगिंग जगत में स्वागत है
    लगातार लिखते रहने के लि‌ए शुभकामना‌एं
    सुन्दर रचना के लि‌ए बधा‌ई ।
    पूरी रचना हिन्दी में लिखते तो अच्छा होता ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    http://www.rachanabharti.blogspot.com
    कहानी,लघुकथा एंव लेखों के लि‌ए मेरे दूसरे ब्लोग् पर स्वागत है
    http://www.swapnil98.blogspot.com
    रेखा चित्र एंव आर्ट के लि‌ए देखें
    http://chitrasansar.blogspot.com

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