तुम में कविता दीखती मुझको बहुत विचित्र
मेरे मानस पटल पर छा जाता वह चित्र
छा जाता वह चित्र मधुर मुस्कान निराली
यौवन रस से भरी सरस जीवन की प्याली
जाओ जिधर सुगन्धित सारा पथ हो जाए
कंटक भी बने प्रसून मार्ग जो आए.
मंगलवार, 27 जनवरी 2009
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जिज्ञासु समर्पण, कवि परिचय, प्रस्तावना एवं वंदना
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