गुरुवार, 22 जनवरी 2009

तक्षक


फूलों की डलिया में मैंने
छुपे हुए तक्षक देखे हैं
तथाकथित रक्षक दल में भी
मैंने कुछ भक्षक देखे हैं

बन्दर गगरी चूना डाले ,
अपनी मथनी फेर रहा है ।
बिल्ली अपनी रोटी छोड़े,
दही चखे यूँ टेर रहा है ।

चेहरे पर गौतम सी करुणा
सीने में बिषधर फुन्कारे।
दुष्ट वहेलिया राग सुना कर
मृग आकर्षित करके मारे।

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