शुक्रवार, 27 मार्च 2009

कौन?

कौन जो मेरे ह्रदय में इस तरह,
बिना दस्तक दिए सीधा आ गया है?
ह्रदय पट पर लगा था जो धैर्य का ताला
तोड़ कर सीधा ह्रदय में छा गया है।

जाग कर भी सका कुछ न बोल, क्यों?
आज सम्मोहन में ऐसा आ गया हूँ ।
चैन लूटी, नीद लूटी, लूट ली दुनियां
सब लुटाकर भी मै हँसता आ गया हूँ ।


उस लुटेरे के करों में न था कोई शस्त्र,
डर न था उसको किसी क़ानून का।
नयन असि ने भेद डाले हैं सभी परित्राण ,
कर जरा स्मित अधर वह छीन लेता प्राण ।


किस कचहरी आज मै जाकर करूँ फ़रियाद?
और मैं किसको दिखाऊँ भावना के घाव?
खुश रहो जीते रहो तुम धन्य सुंदर चोर,
लोग समझेंगे धनी था इसलिए लूटा।


बुधवार, 28 जनवरी 2009

कौन

किस धुरी पर घूमता ब्रह्माण्ड?

कौन जिस की स्वास मरुत प्रचंड ?

कौन करता अश्व रवि के सुनियंत्रित ?

कौन शशि की राष्मिओं को सुधा सिंचित ?,

जिस महा उद्यान के रवि शशि है पहरेदार,

उस महां उद्यान का माली कहाँ है?

जो हमेशा काटता बोता है यह जग शश्य,

उस कृषक का गाँव क्या है? घर कहाँ है ?

मंगलवार, 27 जनवरी 2009

tum

तुम में कविता दीखती मुझको बहुत विचित्र
मेरे मानस पटल पर छा जाता वह चित्र
छा जाता वह चित्र मधुर मुस्कान निराली
यौवन रस से भरी सरस जीवन की प्याली
जाओ जिधर सुगन्धित सारा पथ हो जाए
कंटक भी बने प्रसून मार्ग जो आए.

गुरुवार, 22 जनवरी 2009

तक्षक


फूलों की डलिया में मैंने
छुपे हुए तक्षक देखे हैं
तथाकथित रक्षक दल में भी
मैंने कुछ भक्षक देखे हैं

बन्दर गगरी चूना डाले ,
अपनी मथनी फेर रहा है ।
बिल्ली अपनी रोटी छोड़े,
दही चखे यूँ टेर रहा है ।

चेहरे पर गौतम सी करुणा
सीने में बिषधर फुन्कारे।
दुष्ट वहेलिया राग सुना कर
मृग आकर्षित करके मारे।

जिज्ञासु समर्पण, कवि परिचय, प्रस्तावना एवं वंदना

जिज्ञासु    डॉ . बृजमोहन मिश्र   समर्पण   पूज्या माता स्वर्गीया मंगला देवी एवं पूज्य पिता श्री रामू लाल मिश्र को ...