दादी की वे गीत कहानी
और कहाँ परिओं की रानी
दादा का वह राजा वेटा
बात बात पर रूठा बैठा
उड़ा ले गया साथ लड़कपन
दिवास्वप्न वे परी कथाएँ
पंछी बन उड़ गयी कहाँ ये
बचपन! तेरे अधरों से हंसती है जन्नत
बचपन! प्रभुका तेज चमकता तेरे मुखपर
सारे रागों से मीठी यह तेरी बोली
प्रभु की मूरत सी यह तेरी सूरत भोली
प्यार सीखना है तो इन बच्चों से सीखो
क्षमा सीखना है तो इन बच्चों से सीखो
जाति धर्मं की कडुवाहट इनमे मत डारो
बचपन को बचपन ही रहने दो प्यारों
बचपन को बचपन ही रहने दो प्यारों
जवाब देंहटाएंसबसे खूबसूरत लाइन... बेहतरीन...
प्रभु की मूरत सी यह तेरी सूरत भोली |बहुत सुंदर पंक्तियाँ |
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat rachna
जवाब देंहटाएंmene apko follow kiya hai
kabhi yaha bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com
dhanyvad
follow kar mera hosla badaye