कौन जो मेरे ह्रदय में इस तरह,
बिना दस्तक दिए सीधा आ गया है?
ह्रदय पट पर लगा था जो धैर्य का ताला
तोड़ कर सीधा ह्रदय में छा गया है।
जाग कर भी सका कुछ न बोल, क्यों?
आज सम्मोहन में ऐसा आ गया हूँ ।
चैन लूटी, नीद लूटी, लूट ली दुनियां
सब लुटाकर भी मै हँसता आ गया हूँ ।
उस लुटेरे के करों में न था कोई शस्त्र,
डर न था उसको किसी क़ानून का।
नयन असि ने भेद डाले हैं सभी परित्राण ,
कर जरा स्मित अधर वह छीन लेता प्राण ।
किस कचहरी आज मै जाकर करूँ फ़रियाद?
और मैं किसको दिखाऊँ भावना के घाव?
खुश रहो जीते रहो तुम धन्य सुंदर चोर,
लोग समझेंगे धनी था इसलिए लूटा।