एक बूंद की खोज कहाँ तक लेआयी
बन में गिरि में क्यों मै फिरती अकुलाई...
अभिलाषा की प्यास लिए उर
आकांक्षा के पंख लगाकर
कहाँ कहाँ मै उड़ आई...
एक बूंद की खोज कहाँ तक लेआयी...
स्वर्ण निवाले क्रय करने को भूख बेंच दी
नीद बेंच दी और खरीदी कोमल सेजा
मिश्री खाने हेतु आह क्यों जिह्वा गिरवी कर आयी ....
एक बूंद की खोज कहाँ तक लेआयी...
बन में गिरि में क्यों मै फिरती अकुलाई...
अभिलाषा की प्यास लिए उर
आकांक्षा के पंख लगाकर
कहाँ कहाँ मै उड़ आई...
एक बूंद की खोज कहाँ तक लेआयी...
स्वर्ण निवाले क्रय करने को भूख बेंच दी
नीद बेंच दी और खरीदी कोमल सेजा
मिश्री खाने हेतु आह क्यों जिह्वा गिरवी कर आयी ....
एक बूंद की खोज कहाँ तक लेआयी...